दोस्तों ,
आप चाहते हैं कि आपको विदेशी वीज़ा मिले , बाहर जाएं और अच्छी ज़िन्दगी जियें ? इसके लिए आज आप मेरा एक काम करिये |
किसी सब्जी वाले के पास जाओ , उसे अपनी जेब से 100 रुपये निकाल के दो , उसे बोलो कि लंगड़ा आम दे , वह कहेगा कि इस मौसम में मैं दे नहीं सकता , आप अपने पैसे बिना वापस लिए खाली हाथ घर वापस आ जाना | यानी 100 रुपये का नुकसान करवा आना |
अब आप कहोगे कि ऐसे थोड़े ही होता है , हम पहले सोच समझ के दुकान पर जाते हैं , सामान चुनते हैं , और जब वह चीज़ मिल जाती है तभी उसके पैसे देते हैं | चाहे वह सब्जी हो , कपडे हो , गैस का सिलिंडर हो , बिजली का सामान हो – हर एक चीज़ में पहले सामान लिया जाता है और फिर पैसे दिए जाते हैं |
हम लोग पूरे पैसे तभी देते हैं जब हमें सामान मिल जाता है
तो फिर हम लोग वीज़ा लेने के समय ऐसा क्यों नहीं करते हैं ?
हम लोग एजेंटों के पास जाते हैं , पैसे जमा करवा आते हैं , और अगर वीज़ा ना मिले तो दिए हुए पैसे भी वापस नहीं लेते | इससे बड़ी दुःख की बात यह है कि हम 50-100 रुपये नहीं , पूरे दो – ढाई लाख रुपये का नुकसान करवाते हैं , और वह भी केवल एक बार में | हम अपने माँ – बाप की बरसों की मेहनत , चंद मिनटों में मिट्टी कर आते हैं |
ऐसा करने से काम तो होता नहीं , बस नुकसान ही होता है , लोगों की कोठियां तक बिक जाती हैं |
दोस्तों , अगर आप चाहते हो कि आपको वीज़ा मिले , तो अपने पूरे पैसे वीज़ा लगने के बाद ही दो | क्योंकि इससे धन – संपत्ति ही नहीं , वीज़ा लगने से पहले पैसे देने पर और भी कई नुकसान होते हैं |
1. गलत उम्मीद से दुःख होता है
वीज़ा ना लगने से बन्दे का आत्मविश्वास (confidence) काम होने लगता है , यह देख कर कि उसके दोस्तों का वीज़ा आ गया मगर उसका खुद का नहीं लगा | उसे लगने लगता है कि उसमें कोई कमी है , जबकि असली कमी तो उस एजेंट में थी जिसने उसे गलत सलाह दी | वीज़ा लगने के लिए सही कोर्स में आवेदन (apply) करना चाहिए | एक प्रमाणित (certified) एजेंट सच बता देता है , अगर उसे लगे कि वीज़ा नहीं लगेगा , बजाये इसके कि बच्चे को गलत उम्मीद देकर पैसे ठगे | वीज़ा ना लगने से कुछ लोग इतने ज़्यादा उदास हो जाते है , कि एक प्रमाणित एजेंट के पास जाने से भी कतराने लगता है , मनोबल खोने के कारण , कि क्या फायदा जब वीज़ा लगना ही नहीं | निराश मत हो , सारे एजेंट एक जैसे नहीं होते , अच्छे वाला एजेंट आपका फायदा ही करवाएगा |
2. फ़ालतू में समय बर्बाद होता है
एक बार वीज़ा ना लगने के कारण एक व्यक्ति को फिर से नया एजेंट ढूंढना पढता है , कई बार ऐसे लोगों को 5-6 बार वीज़ा के लिए नामंजूरी (rejection) मिलती है जिसके चलते वह 10-12 लाख तक खो बैठते हैं , कुछ लोग तो कर्ज़ा तक ले बैठते हैं | मैंने कुछ ऐसे IELTS Centre भी देखे हैं जिनके पास जब बच्चे पूछताछ करने आते हैं तो उस IELTS Centre वाले को पता होता है कि उनका वीज़ा नहीं लगेगा , फिर भी IELTS की तैयारी करवाते हैं | याद रखिये , IELTS होने से आपका वीज़ा लगना आसान हो जाता है मगर कुछ देशों में यह ज़रूरी नहीं होता | आप IELTS की घर बैठ कर तैयारी कर सकते हैं और अच्छे बैंड भी ला सकते हैं |
3. तकलीफें झेलनी पढ़ती हैं
कभी भी किसी अप्रमाणित (unregistered) एजेंट के पास मत जाओ , वह आपका केवल नुकसान करेगा | कुछ लोग ऐसे कहेंगे कि बस थोड़े से रुपये दो , आपको वीज़ा मिल जायेगा | वह चीनी (Chinese) माल की तरह अपने धंधे को दिखाते हैं , कि सस्ता है इसलिए ले लो | मगर असलियत कुछ और ही होती है | मैं ऐसे लोग भी जानता हूँ जो विदेश जाना चाहते थे पढ़ाई के लिए , उन्हें किसी एजेंट ने नौकरी का झांसा दिया , उनसे पैसे ले लिए , और वह भोले -भले लोग घर बैठ गए | इससे अच्छा रहता कि वह अध्ययन (study) के लिए चले जाते , जिसमें विदेश जाना आसान है |
4. जीना मुश्किल हो जाता है
वीज़ा ना मिलने के कारण वह व्यक्ति यहीं का होकर रह जाता है | जो फिर भी थोड़ा बहुत पढ़ा हुआ होता है , वह तो दिल्ली – बैंगलोर जाकर किसी अच्छी कंपनी में नौकरी कर सकता है , समस्या तो उन लोगों को आती है जो इतने पढ़े हुए या फिर अमीर नहीं होते | यहां उन्हें अच्छी नौकरियां मिलती नहीं , और जो मिलता है उसमें रोज़ के खर्चे निकलते नहीं | वीज़ा अस्वीकार (refusal) होने के बाद ऐसे लोग यहां रहकर वह काम नहीं कर पाते जिनकी उनमें क्षमता होती है | एप्पल और फेसबुक जैसी कंपनियों का बढ़िया काम केवल विदेश में ही हो सकता है , यहां नहीं | जो लोग विदेश चले जाते हैं , वह आगे निकल जाते हैं , अच्छी ज़िन्दगी बिताते हैं , बड़े – बड़े घर बनाते हैं | अच्छे लोग मुश्किलें ना झेलें , इसलिए ज़रूरी है कि वह विदेश जाने की कोशिश करें |
5. लालची एजेंटों को प्रोत्साहन मिलता है
आप जानते हैं कि वीज़ा एजेंट काम होने से पहले पैसे क्यों लेते हैं ? क्योंकि लोग खुद उन्हें काम होने से पहले पैसे देते हैं | महान कवि Shakespeare ने कहा था कि “security is mortals chiefest enemy” यानी कि सुरक्षा का एहसास होना एक मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है | जब किसी एजेंट को पहले पैसे मिल जाते हैं , तो बहुत से लोग अपना काम ठीक से करने के लिए प्रेरित (motivated) महसूस नहीं करते हैं | उन्हें फ़र्क़ नहीं पढ़ता कि बच्चे को वीज़ा ना मिले , क्योंकि उन्हें तो अपने पैसे मिल गए होते हैं | यही अगर उन्हें कहा जाए कि पैसे तभी मिलेंगे जब वीज़ा आएगा , तो वह वीज़ा दिलवाने के लिए ज़्यादा गंभीर (serious) हो जाएंगे |
पूरे पैसे वीज़ा लगने के बाद
दोस्तों , एक अच्छा एजेंट आपको सही रास्ते से विदेश पहुंचा देता है | मेरी आपको नेक सलाह है कि आप जिस भी एजेंट के पास जाओ , उसे कहो कि आप पूरे पैसे वीज़ा लगने के बाद ही दोगे | इससे आपके प्रतिषेध (refusal) वाले पैसे भी बचेंगे , समय पर सब काम हो जाएगा , आपका मनोबल भी बना रहेगा और आपके वीज़ा मिलने की संभावना बढ़ जायेगी |
मैं यह नहीं कहता हूँ कि मैं सबसे अच्छा हूँ , मगर मैं सबसे अच्छा बनने की कोशिश ज़रूर करता हूँ
- मेरी कंपनी सरकार द्वारा रजिस्टर्ड है
- ICEF agency और AIRC certified भी है
- मेरे चंडीगढ़ , मोहाली , अमृतसर और जालंधर में दफ्तर हैं
- हर महीने मेरी टीम बहुत से वीज़े लगवाती है
- हमारे ज़रिये लोगों के 4-5 refusal के बाद भी वीज़े लगे हैं
- हमने 5 साल गैप और 33% नंबर वाले लोगों के भी वीज़े लगवाए हैं
- हम पूरे पैसे वीज़ा लगने के बाद ही लेते हैं
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